विदेशी यात्राओं की थकान से चूर मोदी जी अपने बिस्तर पर बैठे कुर्ते की सिलबटों में अंदरूनी खुशी तलाश रहे थे. एक साल पहले तक वीसा के लिए हर वार खाली जाता था और अब कपड़े कम पड़ जाते हैं यात्राओं में. ये ख्याल मन में उमड़ ही रहा था कि सात रेस कोर्स के बाहर नींद ने दस्तक दी. दस्तक पर गौर फरमाते हुए मोदी जी ने उन्हें अंदर आने की अनुमति प्रदान की.
लेकिन उससे पहले उन्होंने सिलबटों में सने सिल्क के कुर्ते को शरीर से अलग होने की आज्ञा देते हुए शरीर से अलग किया और एक तरफ रख दिया. कुर्ते को वादा मिला कि अगली बार फिर कभी दौरे पर ये शरीर मिलेगा. लेकिन चूड़ीदार पैजामा अपने कहे में न था. कांच की चूड़ी की तरह टूट चुका था ये देखकर मोदी जी से रहा नहीं गया और निकाल कर दूर फेंक दिया. बत्ती बंद हो चुकी थी. नींद अटल जी के भाषणों की तरह धीरे धीरे आंखों में समा रही थी.
सोते ही मोदी जी सपनों में खो गए. एक साल के बारे में सोचते सोचते मन में एक साल ही सपना बन कर आ गया. हर तरफ गुलाबों की पंखुड़ियां उड़ायी जा रही थी. शंख बजाए जा रहे थे, बजती धुन के साथ मोदी जी ने शहनाई पकड़ ली और लगे बजाने लेकिन मन में कुछ जंचा नहीं.. सदा वत्सले सदा वत्सले की धुन निकल रही थी. मोदी जी की नींद खुल गई. ये पहली बार हुआ कि समय से पहले मोदी जी जागे थे. हाल ही में कोरिया गए और वहां से मिले सैमसंग एस 6 में प्राइवेट नंबर से फोन था मोदी जी ने फोन उठाया हलो बोलते कि उससे पहले ही दूसरी तरफ से राहुल जी ने कहा सालगिरह की बधाई, दिन अच्छा हो हर साल एक साल हो. मोदी जी कुछ जवाब देते कि बचपन मन ने फोन काट दिया. मंद मुस्कान के साथ जैसे ही फोन बिस्तर पर रखा कि फिर सदा वत्सले की धुन बजी इस बार दूसरी तरफ लालू जी थे. मोदी जी कुछ कहते कि लालू जी ने कहा कि अभी भारत में रहिए कहीं गए तो भूकंप आ जाएगा. मोदी जी कुछ कहते कि फोन कट. अब फिर फोन बजा. इस बार मोदी जी ने फोन उठाते ही पहले बोल दिया कौन कौन कौन सामने से कुछ नहीं आया मोदी जी ने कहा मनमोहन जी शुक्रिया.
इस बीच घंटी से जितेन्द्र सिंह की नींद खुल गई थी वो भागे भागे आए. कारण पूछा कि क्या हुआ साहेब. मोदी जी ने पास मेज पर तबला बजाया और नहाने चले गए. पास ही फेंका हुआ चूड़ीदार पैजामा पांव में फंस गया. इसे देख मोदी जी ने फोन उठाया और आडवाणी जी को फोन मिलाया तब तक पैजामा नीचे गिर चुका था. मोदी जी ने फोन काटा लेकिन दूसरी तरफ मिस्ड कॉल दर्ज हो चुका था. आडवाणी जी को रहा नहीं गया चश्मा उतार कर आंसू पोछे और कहा भूला घर तो आया….